मधुमक्खी – संजय को एक दिन न जाने क्या शरारत सूझी, गुलेल से मधुमक्खी के छत्ते में पत्थर मार दिया| गुस्साई मधुमक्खियों से बचने के लिए लोग यहाँ वहाँ भागने लगे बेचारे सुनील को तो मधुमक्खी ने चाब ही दिया|
गब्बू की बकरी – गब्बू के पापा उसके लिए एक बकरी लाए हैं| अपनी बकरी से बहुत प्यार करता है, वह उसकी हर ज़रूरत का ख्याल रखता है| कहीं इस लाड़ प्यार में, बकरी भी छोटे बच्चे जैसे बिगड़ तो नहीं गयी है?
चिड़िया और चिड़ा – जानकी, घोंसले में चिड़िया और चिड़ा के अण्डों को देखकर बहुत खुश है, वह बेसब्री से अण्डों से नन्हें बच्चों के निकलने का इंतज़ार कर रही है, जानकी के साथ हम भी देखते हैं कि अण्डों से बच्चे कब निकलेंगें?
आज क्या किया – अरविन्द की टोली तल्लीन होकर किसी की खोज में लगी हुई है, पर उनका शिकार तो पत्थर के नीचे छुपा हुआ है| देखते हैं आखिर उनका शिकार कौन है?
लट्टू ही लट्टू – कुछ पैसे बचाकर मन्नु लाल रंग का लट्टू खरीद लाया| उसका खेल देखने सभी दोस्त मैदान में आ गए हैं| सभी लट्टू पर लट्टू हैं, हम भी अपना लट्टू लेकर खेलने चलते हैं|
घर बनाया – बचपन में हम सब घर-घर खेलते हैं| आकाश, रोहित, मोनू और इमरान भी अपने आसपास से सामान जोड़ते हुए घर बना रहे – बहुत बड़ा नहीं हो कि सब दूर हो जाएँ| और हाँ, खिड़की भी लगेगी|
कार – आज कबाड़ में जुनैद को कार मिली है और इसको स्कूल भी ले आया है| क्लास में तो मैडम उसे खेलने नहीं दे रहीं हैं| लेकिन हम सब का मन उस लाल गाड़ी पर ही है|
मिट्टी – मिट्टी को पानी में खेलने का बहुत शौक है| लेकिन कमबख्त हैंडपंप पर हमेशा भीड़ होती है| कोई अपना शौक पूरा करे तो कैसे?
बेर खाने हैं – करिश्मा की छोटी बहन को बेर खाने का बहुत मन है, लेकिन करिश्मा के पास बेर खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं| कैसे अपनी बहन को वह बेर खिलाएगी?
गन्ने का बंटवारा – मीठे गन्ने के लालच में वह महिला दूर खेत तो पहुँच गयी, लेकिन बंदरों ने वापसी में उसे फसा ही दिया, वे उसका रास्ता रोक कर खड़े हो गए| देखते हैं वह इस सब से बचते हुए कैसे घर लौटती है|
बरसात की तैयारी– बारिश आने वाली है, बस्ती में सब लोग घर ठीक कर रहे हैं| गोपाल, पूजा और उनकी माँ – सब ने पैसे बचाए हैं और झुग्गी सुधारने में लगे हुए हैं| बारिश पहले आएगी या घर वापस बाँध पाएँगे?
योगिता का भूत– योगिता सो रही थी| छत से आ रही आवाज़ से नींद खुल गई| कौन पत्थर मार रहा है, सब कह रहे थे कि बस्ती में भूत घुमते हैं? बाहर देखने क्या आप साथ चलोगे?
योगिता सो रही थी| छत से आ रही आवाज़ से उसकीनींद खुल गई| सब कह रहे थे कि रात के समय बस्ती में भूत घुमते हैं? बाहर क्या है, यह जानने के लिए क्या आप साथ चलोगे?
पानी बेचती है– बस्ती के सामने हर बुधवार को बाज़ार लगता है| दोपहर खत्म होते ही, शोभा और शबनम काम में लग जाते हैं| सभी दुकान वालों को पानी चाहिए होता है, चाहे वो मछली वाले हों या सब्ज़ी वाले| इन दोनों लड़कियों के साथ हम भी यहाँ वहाँ भागते हैं और थोड़ा कुछ कमा लेते हैं|
जंगल किसका – ईट भट्टे का काम निपटा कर सभी मज़दूर जंगल की तरफ़ चले गये हैं| वहां पेड़ों की छाँव में अपना डेरा डाल दिया| पर ये जंगल है किसका?
सोहेल की पीली चड्डी – सोहेल को अपने लिए चड्डी लेनी है| उसे चड्डी मिल तो जाती है, लेकिन चड्डी नाप की नहीं है| चड्डी की ख़ुशी थोड़ी देर में ही काफ़ूर हो जाती है| अब नाप की चड्डी कैसे लाएँ?
थाना – स्कूल में तो कहते हैं कि पुलिसवाले लोगों की रक्षा करते हैं| पर हमारे लोगों को क्यों परेशान करते हैं?
छोटे छोटे बच्चों तक को भी पुलिस बिनावजह रास्ते से उठा लेती है और मारपीट करती है| स्कूल में तो कहते हैं कि पुलिसवाले लोगों की रक्षा करते हैं| फिर हमारे लोगों को क्यों परेशान करते हैं?
राजू की भैंसें– भैंसे चराते-चराते, राजू भी दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने लग गया| जब तक भैंसों की वापस याद आई, तब तक तो वे कहीं दूर निकल गयी होती हैं| पापा की मार से डरते हुए राजू की मदद के लिए हम सब दोस्त भी निकल पड़तेचलते हैं|
नाला– जिनके पास घर नहीं होते, वो नाले के पास घर बना लेते हैं| आपने कभी नाले के पास की ज़िंदगी देखी है? इस कहानी में एक बच्ची के साथ नाले के इर्द-गिर्द के उसके दिन से जुड़िये|बारिश हो या सूखा, बच्चों को यहाँ कुछ मिल ही जाता है|
सुअर का दोस्त–सुअर अलग-अलग जानवरों के पास दोस्ती ढूँढने जाता है, लेकिन घोड़ा हो या बन्दर, सब मना कर देते हैं| इस मार्मिक कहानी से कुछ बड़े सवाल खुलते हैं, क्या हम अपने जैसे लोगों से ही दोस्ती कर सकते हैं?
स्कूल में हमने सीखा और सिखाया – स्कूल में पढ़ना तो चाहतीं हैं, परभाषा के कारण स्कूल से दूरियां बनने लगती हैं| क्या लड़कियां कोई उपाय ढूढ पाएंगी?
चटनी – मंजना की मम्मी आज कच्ची केरियों की चटनी बनाने वाली हैं| हम भी उनको मदद करने चलते हैं| सब मेहनत करेंगे, तो मज़ेदार ही कुछ मिलेगा|
बहादुर कार मालिक– पानी पुल के ऊपर से बह रहा था| जहाँ दोनों तरफ़ गाड़ियों की कतार लग गयी है, एक आदमी सोचा अपनी बहादुरी दिखा ही दूँ| वास्तव की इस कहानी में देखते हैं उसका क्या अन्जाम होता है|
बैल की सवारी– जब से सितारा को बेचा था, तब से कोई बैल के पास जाना ही नहीं हुआ था| लेकिन पारधी समुदाय की लड़की कैसे जानवर से, बैल से दूर रह सकती, यह तो उनके पुश्तों से चला आ रहा है| एक सुन्दर-साबैल और एक छोटी-सी लड़की की दोस्ती के मज़े हम भी इस कहानी में ले सकते हैं|
Highlights:
- Language: Hindi
- Short Story
- “Padho Rakho Series”
- Kid Friendly
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